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आयुर्वेद के आठ: अंग
आयुर्वेद के आठ: अंग – मुख्य आठ भाग में विभाजित करने की प्रक्रिया अत्यंत प्राचीन है जिसमे सभी ने अष्टांग योग, अष्ट सिद्धि आदि के विषय में सुना है उसी प्रकार से आयुर्वेद को भी मुख्या ८ भाग में विभाजित किया गया है जिसमे से काया चिकित्सा, बाल चिकित्सा, भूत(ग्रह) चिकित्सा, शालक्य तंत्र, शल्य तंत्र, […]
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आयुर्वेद एवं ग्रह
आयु – जीवन अथवा प्राण एक ही चीज़ है वेद जो दाता के निकतम सूची अथवा जानकारी है अथवा वेद सर्वोत्तम श्रृष्टि की रचना का सूचक हैं. लेकिन यदि सिर्फ यह देखा जायेगा की किसी जीवन की हानि करके प्राप्त किये गये गुण कभी उतने अधिक नही हो सकते हैं जितना आवश्यक है. जैसे आम […]
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दूध
दूध का पाचन कम अम्ल में होता है इसीलिए बच्चों को आसानी से पच जाता है लेकिन उम्र बढ़ने के साथ वह नहीं पचता है और आंत में समस्या पैदा करता है. दूध न पचने के कारण वह खून में मिल के कई बीमारी पैदा करता है। दूध या श्वेत जीव – मनुष्य के जीवन […]
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आयुर्वेद एवं नक्षत्र
हम सभी ने आज तक देखा है की किसी वृक्ष की जड़ निकाल के उसको पीस के पी लिया खा लिया सुखा के क्या इससे प्राप्ति होगी एक उज्जवल जीवन की ? नहीं , किसी को हानि पहुँचना भारतीय सभ्यता का अंग नहीं है इसलिए महाऋषियों द्वारा विशेष रूप से आयुर्वेद के उपर गहन शोध […]
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निरोग्य आहार – सहज आहार
निरोग्य आहार हेतु यह समझना आवश्यक है की खाने की पाचन क्रिया क्या होती है – सर्वप्रथम भोजन उतना ही करें जितना आवश्यक है अधिक भोजन करना भी हिंसा का प्रतीक है इससे जिन्हें भोजन नहीं मिल रहा है वो इसे प्राप्त कर सकेंगे सिर्फ मनुष्य ही नहीं पक्षी जानवर फल फूल उनका भी भोजन […]
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आयुर्वेद क्या है?
आयुर्वेद – यह मूलतः २ शब्दों से बना है – आयु + वेद – जप आयु का ज्ञान से अथवा यह ज्ञान जिसके माध्यम से आयु की समस्त गुण को जाना जा सके. ज्ञान नियंत्रण से प्राप्त होता है नियंत्रण का प्रकार है आयाम जिसके माध्यम से प्राण पर नियंत्रण प्राप्त हो वह प्राणायाम है. […]