हम सभी ने आज तक देखा है की किसी वृक्ष की जड़ निकाल के उसको पीस के पी लिया खा लिया सुखा के क्या इससे प्राप्ति होगी एक उज्जवल जीवन की ? नहीं , किसी को हानि पहुँचना भारतीय सभ्यता का अंग नहीं है इसलिए महाऋषियों द्वारा विशेष रूप से आयुर्वेद के उपर गहन शोध किये गये और निष्कर्ष निकाले गये की किस प्रकार की औषधि कब सेवन करने से लाभ मिलना चाहिए. जिस प्रकार से भोज पदार्थ जो आपको जीवन देते हैं उनके रोपड़ एवं कटाई का समय निर्धारित है उसी प्रकार से औषधि भी अपने पूर्ण गुण को तभी प्रदान करती हैं जब उन्हें पूर्ण विधि से रोपड़ किया जाये और उसी प्रकार से उनके पूजन के बाद उनकी औषधि गुण की प्राप्ति की जाये इसी क्रम में निरोग्यम आयुर्वेद नक्षत्र के अनुसार जो सम्पूर्ण सही विधि है औषधि को उगाती है और उसी के अनुसार पूजन समेत सभी कार्य पूर्ण करने के बाद वृक्ष से औषधि प्राप्ति की जाती है. समझते हैं इस प्रक्रिया को –
आयुर्वेद एवं तत्त्व ज्ञान
आयुर्वेद का तत्व ज्ञान पंचमहाभूतों के सिद्धांत पर आधारित है, जिनसे सभी वस्तुओं एवं जीवित शरीरों का निर्माण हुआ है।
इन पंच तत्व